Motion in a Straight Line class 11th physics notes in Hindi सरल रेखा में गति

 
Motion in a Straight Line part 01-  class 11th physics notes in Hindi  सरल रेखा में गति

सरल रेखा में गति(Motion in a Straight Line)

गति (Motion):

परिभाषा:  यदि किसी वस्तु की स्थिति समय के सापेक्ष परिवर्तित होती है इसे गति कहते हैं|

 हालांकि गति एक सापेक्षिक राशि है हम किसी भी दूसरी वस्तु को बिना सापेक्षिक (reference) माने उसके गतिशील होने अथवा स्थिर होने के बारे में नहीं बता सकते लेकिन हम जितनी भी गति का अध्ययन करेंगे वह सब पृथ्वी के सापेक्ष होगी तथा हम पृथ्वी को स्थिर मानकर उन सभी गतियां का अध्ययन करेंगे |  इस अध्याय में हम सिर्फ सरल रेखीय गति ही पढेगे|


स्थिति, दूरी एवं विस्थापन (position, Distance, Displacement):

किसी भी वस्तु की स्थिति निर्धारित करने के लिए हमें एक निर्देशक तंत्र की जरूरत होती है जिसमें एक संदर्भ बिंदु तथा X, Y एवं Z- axis विद्यमान होते हैं; उस निर्देश तंत्र में तीन axis जो परस्पर लंबवत होते हैं तथा एक दूसरे को मूल बिंदु पर काटते हैं जिसे हम संदर्भ बिंदु (reference point) कहते हैं इस पूरे निकाय को हम निर्देश तंत्र (Frame of Reference) कहते हैं अब अगर हमें किसी भी वस्तु की स्थिति दर्शनी  हो तो हम इसी निर्देश तंत्र का प्रयोग करेंगे 

दूरी : किसी वस्तु द्वारा तय किए गए पथ की कुल लंबाई दूरी (Path travelled) कहलाती हैं| दूरी एक अदिश राशि है इसलिए इसका केवल परिमाण होता है दिशा नहीं|

विस्थापन: किसी वस्तु द्वारा तय की गई दूरी के अंतिम बिंदु एवं प्रारंभिक बिंदुओं के बीच की सीधी (direct) दूरी विस्थापन कहलाती है|

 

स्थिति सदिश के रूप मे विस्थापन:

  •  विस्थापन एवं दूरी बराबर हो सकते हैं अगर वस्तु का पथ सरल रेखीय हो|
  •  विस्थापन शून्य भी हो सकता है लेकिन कभी भी दूरी से ज्यादा नहीं हो सकता|
  • अगर वस्तु समान समय अंतराल में समान दूरी तय करती है तो उस वस्तु की गति को एकसमान गति ( Uniform Motion ) कहते हैं| अर्थात वस्तु जितनी दूरी तय करती है उस दूरी को तय करने में उसका वेग या चाल एक समान रहता है, अगर वस्तु पहले सेकंड में X दूरी तय करती है तो दूसरे सेकंड में भी वह एक X दूरी ही तय करेगी

औसत वेग एवं औसत चाल (Average velocity and Average Speed):

  • चाल वस्तु द्वारा तय की गई कुल दूरी पर निर्भर करती है जबकि वेग वस्तु के विस्थापन पर निर्भर करती है इसलिए किसी वस्तु की औसत चाल वस्तु द्वारा तय की गई कुल दूरी एवं समय का अनुपात होती है लेकिन औसत वेग कुल समय में वस्तु की स्थिति में परिवर्तन एवं लगे हुए समय का अनुपात होता है। 
  •  एक समान सरल रेखीय गति में वस्तु का औसत वेग एवं उसकी औसत चाल दोनों समान होते हैं क्योंकि समान समय में वस्तु द्वारा तय दूरी एवं विस्थापन समान होते हैं|
  • लेकिन अगर वस्तु एक सरल रेखा में गतिशील नहीं है तब वस्तु का औसत वेग विस्थापन एवं समय का अनुपात होगा और अगर यदि विस्थापन शून्य हो तो औसत वेग भी शून्य होगा लेकिन उसकी चाल शून्य नहीं होगी|
  • औसत वेग से हम यह पता लगा सकते है कि कोई वस्तु किसी दिये गए समयंतराल में किस वेग से गतिशील है लेकिन हम यह पता नहीं लगा सकते कि वह इस समयंतराल के भिन्न-भिन्न क्षणों मे किस वेग से गतिमान थी। इसके लिए हम तात्क्षणिक वेग निकालते है। 




औसत वेग =
 


औसत चाल =

तात्क्षणिक वेग एवं चाल (Instantaneous Velocity and speed):

यदि हम समयांतराल ∆t को बहुत ही छोटा मान ले तो उस ∆t समय पर वस्तु का वेग तात्क्षणिक वेग(या केवल वेग)कहलाता है।


 

  • एकसमान गति में औसत वेग एवं किसी भी समय का तात्क्षणिक वेग एकसमान होता है। 
  • तात्क्षणिक वेग का मान भी धनात्मक और ऋणात्मक दोनो हो सकता है। वहीं तात्क्षणिक चाल, तात्क्षणिक वेग का परिमाण होती है। 

 त्वरण (Acceleration):

तात्क्षणिक त्वरण a यह मापता है कि किसी पिंड का वेग कितना तेजी से बदलता है यानी; गति और गति की दिशा समय के साथ कैसे बदलती है।
 यह किसी क्षण t पर, वेग सदिश (v) में समय के साथ परिवर्तन की दर के बराबर है:

एक सदिश राशि में परिवर्तन तब होता है, जब इसकी परिमाण या दिशा या दोनों बदलते हैं। तदनुसार, त्वरण सदिश के दो घटक हो सकते हैं, एक केवल गति को बदलने के लिए जिम्मेदार और दूसरा गति की केवल दिशा बदलने के लिए जिम्मेदार।

गति को बदलने के लिए जिम्मेदार त्वरण का घटक गति की दिशा में होना चाहिए। इसे त्वरण के स्पर्शरेखीय घटक (ar) के रूप में जाना जाता है। गति की दिशा बदलने के लिए जिम्मेदार घटक गति की दिशा के लंबवत होना चाहिए। यह त्वरण का एक सामान्य घटक के रूप में जाना जाता है। एक व्र्तीय पथ पर चलते हुए कण के त्वरण सदिश के स्पर्शरेखीय और सामान्य घटक इस चित्र में दिखाए गए हैं 



Rectilinear Motion (सरल रेखीय गति)


हम  सरल रेखीय गति को निम्नलिखित श्रेणियों मे वर्गीकृत कर सकते हैं।


Uniform Velocity Motion (एक समान वेग से गति):


एक समान वेग से गति में, एक पिंड दिशा में परिवर्तन के बिना एक सरल रेखीय पथ पर निरंतर गति के साथ चलता है| यदि,  स्थिति x = x0 से प्रारंभ होने वाला निकाय क्षण t = 0 पर सकारात्मक दिशा में एक समान वेग v के साथ चलता है, तो किसी भी समय t का गति का समीकरण x = x0 + vt है।

इस गति के लिए वेग- समय (t) ग्राफ निम्न आकृति में दिखाया गया है: 



जैसा कि हम जानते हैं कि, v-t ग्राफ और समय अक्ष के बीच का क्षेत्रफल  स्थिति में परिवर्तन यानी विस्थापन के  बराबर  है , इससे हम किसी भी पल में स्थिति-समय संबंध या स्थिति प्राप्त कर सकते है 



Uniform Acceleration Motion (एक समान त्वरित गति):


ऐसी गति जिसमें  त्वरण  के परिमाण के साथ-साथ  त्वरण की दिशा भी नियत रहती है एक समान त्वरित गति कहलाती है

 नीचे दिए गए गति के आरेख में  यह दर्शाया गया है कि  एक कण  धनात्मक x दिशा में  एक समान त्वरण अ से गति करता है यह समय t=0 पर वेग V 0 से स्थिति x को पार करता है तथा बाद में  समय t पर  वह वेग v ग्रहण कर लेता है 



उपरोक्त दोनों समीकरणों में से  समय t को विलोप करने पर  हमें प्राप्त होता है  


  उपरोक्त समीकरण (१,२,३) क्रमश:  एक समान त्वरित गति से गतिमान पिंड की गति के  के  पहले दूसरे एवं तृतीय समीकरण कहलाते हैं इस गति के लिए त्वरण समय ग्राफ निम्नलिखित  आकृति में दर्शाया गया है 




जैसा कि हम जानते हैं समय अक्ष एवं a-t ग्राफ के मध्य का क्षेत्रफल वेग में परिवर्तन के बराबर होता है। इससे हम किसी समय वेग समय संबंध अथवा वेग निकाल सकते हैं



v-t ग्राफ एवं समय अक्ष के बीच का क्षेत्रफल स्थिति में परिवर्तन के बराबर होता है अतः किसी क्षण पर स्थिति समय संबंध अथवा स्थिति ज्ञात की जा सकती है




Relative Motion (सापेक्ष गति)



किसी निकाय की गति को  केवल तभी देखा जा सकता है, जब वह किसी अन्य निकाय के सापेक्ष में अपनी स्थिति बदलता है।  इस अर्थ में, गति एक सापेक्ष अवधारणा है।  किसी निकाय A की गति का विश्लेषण करने के लिए  हमें एक दूसरे निकाय B को संदर्भ फ्रेम (frame of reference) के रूप में मानना होगा
तथा परिणाम स्वरूप हमें A की गति B के सापेक्ष प्राप्त  होगी। 

सापेक्ष स्थिति, सापेक्ष वेग, एवं सापेक्ष त्वरण (Relative position, relative velocity and relative accelaration)

माना किसी संदर्भ फ्रेम S के सापेक्ष दो कण A एवं B जिनके के स्थिति सदिश क्रमश: rA एवं rB है तथा उनके वेग  vA  एवं vB है तथा त्वरण aA एवं aB  है। 
तब A एवं B की गति का विश्लेषण करने के लिए हम यह मानते हैं कि संदर्भ फ्रेम S पृथ्वी के सापेक्ष स्थिर है जहां rB/A, A के सापेक्ष B के स्थिति सदिश को दर्शाता है|
सदिश योग के त्रिभुज नियम ( triangle law of vector addition ) से हम यह पाते हैं कि

   अब rA एवं rB का समय के सापेक्ष प्रथम अवकलज (first derivative), संदर्भ फ्रेम S के सापेक्ष  क्रमशः  A एवं B के वेग के समान है तथा rB/A का प्रथम अवकलज B का A के सापेक्ष  वेग को के समान है|
 rA एवं rB का समय के सापेक्ष द्वितीय अवकलज (second derivative) संदर्भ फ्रेम S के सापेक्ष क्रमश: A के त्वरण एवं B के त्वरण के समान है तथा rB/A का द्वितीय अवकलज  B का A के सापेक्ष त्वरण के समान है:


ठीक इसी प्रकार हम एक A का B के सापेक्ष स्थिति सदिश, वेग सदिश, एवम त्वरण सदिश निकाल सकते हैं








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