भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन (1917-1947)

 

भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन (1917-1947)

भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन (1917-1947)

भारत में गांधी का उत्थान

एम. के. गांधी सन् 1915 में दक्षिण अफ्रीका (जहां वे 20 वर्षों से अधिक समय तक रहे) से भारत लौटे । वहां उन्होंने भारतीयों के साथ किए गए भेदभाव के खिलाफ एक शांतिपूर्ण आंदोलन का नेतृत्व किया और एक सम्मानित नेता के रूप में उभरे। दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने अपने सत्याग्रह ब्रांड को विकसित किया। भारत में उन्होंने पहली बार बिहार के चंपारण में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ इस अस्त्र (टूल) का इस्तेमाल किया।

चंपारण सत्याग्रह (1917)

  • स्वतंत्रता संग्राम में गांधी द्वारा प्रथम सविनय अवज्ञा आंदोलन।
  • नील कृषक, राजकुमार शुक्ला के आश्वासन पर गांधी बिहार के चंपारण में किसानों की परिस्थितियों की जांच के लिए गए।
  • किसान अत्याधिक करों के बोझ और शोषक व्यवस्था से पीड़ित थे। उन्‍हें तिनकथिया व्यवस्था के अंतर्गत ब्रिटिश बागान मालिकों (प्लांटरों) द्वारा नील की खेती करने के लिए मजबूर किया जाता था।
  • गांधी इस मामले की जांच करने के लिए चंपारण पहुंचे लेकिन अंग्रेज अधिकारियों ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी।
  • अंग्रेजों ने उन्हें वहां से जाने के लिए कहा लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।
  • वह किसानों और जन समूह से समर्थन प्राप्त करने में सक्षम थे।
  • जब वह एक सम्मन (नोटिस) के जवाब में अदालत में उपस्थित हुए तो उस वक्त लगभग 2000 स्थानीय लोग भी उनके साथ मौजूद थे।
  • उनके खिलाफ मामले को निरस्त कर दिया गया और उन्हें जांच करने की अनुमति दे दी गई।
  • गांधी के नेतृत्व में बागान मालिकों (प्लांटर्स) और जमींदारों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध के पश्चात सरकार शोषणकारी तिनकथिया व्यवस्था को समाप्त करने पर सहमत हो गई।
  • किसानों को मुआवजे के रूप में उनसे ऐंठे गए पैसों का एक हिस्सा भी प्राप्त हुआ।
  • चंपारण संघर्ष को गांधी द्वारा सत्याग्रह पर पहला प्रयोग कहा जाता है।
  • इस दौरान गांधी को लोगों ने 'बापूऔर 'महात्माका नाम दिया।

अहमदाबाद मिल हड़ताल (1918)

  • गांधीजी की गतिविधियों का अगला दृश्य अहमदाबाद में सन् 1918 में देखने को मिला जहां वेतन वृद्धि के लिए श्रमिकों और कपास वस्त्र मिल के मालिकों के बीच एक आंदोलन चल रहा था।
  • गांधीजी जब मिल के मालिकों के साथ बातचीत कर रहे थे तब उन्होंने श्रमिकों को हड़ताल पर जाने और मजदूरी में 35% वृद्धि की मांग करने की सलाह दी।
  • हड़ताल पर बैठे श्रमिकों को अपने विवेक पर निर्भर रहने की सलाह देने के पश्‍चात् गांधीजी हड़ताल को निरंतर जारी रखने तथा श्रमिकों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से स्वयं “आमरण अनशन” पर बैठ गए।
  • मिल मालिकों ने अंततः हार मानते हुए 21 दिनों की हड़ताल के बाद समझौता कर लिया। मिल मालिक पूरे मुद्दे को न्यायाधिकरण में प्रस्तुत करने पर सहमत हो गए।
  • हड़ताल को वापस ले लिया गया और बाद में श्रमिकों की मांग के अनुसार उनके वेतन में 35% की वृद्धि की गई।
  • अंबालाल साराभाई की बहन ‘अनुसूइया बेन’ इस संघर्ष में गांधीजी के मुख्य सहयोगियों में से एक थीं जिसमें उनके भाई और गांधीजी के मित्र मुख्य सलाहकारों में से एक थे।

खेड़ा सत्याग्रह (1918)

  • गुजरात के खेड़ा जिले में सूखे के कारण वर्ष 1918 नष्‍ट हुई फसलों का वर्ष था।
  • कानून के अनुसार किसान छूट के हकदार थे यदि, उत्पादन सामान्य उत्पादन के एक चौथाई से कम था।
  • लेकिन सरकार ने भू-राजस्व का भुगतान करने से किसी भी छूट को अस्वीकृत कर दिया।
  • गांधी के मार्गदर्शन के तहत सरदार वल्लभभाई पटेल ने अकाल के मद्देनज़र करों के संग्रह के विरूद्ध विरोध प्रदर्शन में किसानों का नेतृत्व किया।
  • जिले की सभी जातियों और वर्णों के लोगों ने आंदोलन में अपना समर्थन दिया।
  • विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण था तथा लोगों ने निजी संपत्ति के अधिहरण और गिरफ्तारी जैसी विपत्तियों का सामना करने के बावजूद उल्लेखनीय साहस का प्रदर्शन किया।
  • अंततः अधिकारियों ने हार मानते हुए किसानों को कुछ रियायतें दी।

रौलेट अधिनियम (1919)

  • सन् 1917 में सर सिडनी रौलेट की अध्यक्षता में उग्रवादी राष्ट्रवादी गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए एक समिति गठित की गई।
  • केंद्रीय विधान परिषद द्वारा रौलैट अधिनियम को मार्च, 1919 में पारित किया गया था।
  • इस अधिनियम के अनुसार किसी भी व्यक्ति को संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता है।
  • ऐसी गिरफ्तारी के खिलाफ कोई भी अपील या याचिका दायर नहीं की जा सकती।
  • इस अधिनियम को काला अधिनियम (ब्लैक एक्ट) के नाम से जाना गया और इसका व्यापक स्तर पर विरोध किया गया।
  • 6 अप्रैल, 1919 को एक अखिल भारतीय हड़ताल का आयोजन किया गया।
  • पूरे देश में बैठकों का आयोजन किया गया।
  • महात्मा गांधी को दिल्ली के पास गिरफ्तार कर लिया गया।
  • पंजाब के दो प्रमुख नेताओं डॉ. सत्य पाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलेव को अमृतसर में गिरफ्तार किया गया।

जलियांवाला बाग हत्याकांड (13 अप्रैल, 1919)

  • जलियांवाला बाग नरसंहार 13 अप्रैल, 1919 को हुआ और यह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक क्रांतिकारी परिवर्तन (टर्निंग प्‍वाइंट) था।
  • पंजाब में रौलैट सत्याग्रह के लिए अभूतपूर्व समर्थन था।
  • हिंसक परिस्थितियों का सामना करते हुए पंजाब सरकार ने जनरल डायर के अधीन सैन्य अधिकारियों को प्रशासन सौंप दिया।
  • उन्होंने सभी सार्वजनिक बैठकों पर प्रतिबंध लगा दिया और राजनीतिक नेताओं को हिरासत में ले लिया।
  • 13 अप्रैल को बेशाखी दिवस (फसल उत्सव) पर जलियांवाला बाग (गार्डेन) में एक सार्वजनिक बैठक का आयोजन किया गया।
  • डायर ने बिना कोई चेतावनी दिए भीड़ पर गोलियों की बौछार करवा दी।
  • गोलियों की बौछार (फायरिंग) लगभग 10 से 15 मिनट तक लगातार जारी रही और गोलियों के समाप्त होने पर ही फायरिंग बंद हुई।
  • आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार इस घटना में 379 लोग मारे गए और 1137 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
  • रविंद्रनाथ टैगोर ने इसके विरोध में अपनी नाइटहुड की उपाधि को त्याग दिया।
  • जलियांवाला बाग नरसंहार ने स्वतंत्रता संग्राम के लिए जबरदस्त प्रेरणा दी।

खिलाफत आंदोलन

  • खिलाफत आंदोलन का मुख्य कारण प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की की हार थी।
  • मुसलमानों ने सेवर्स संधि (1920) की कठोर शर्तों को स्वयं के अपमान के तौर पर लिया।
  • संपूर्ण आंदोलन मुस्लिम विश्वास पर आधारित था कि खलीफा (तुर्की का सुल्तान) पूरे विश्व के मुसलमानों का धार्मिक प्रधान था।
  • मौलाना अबुल कलाम आज़ादएम. ए. अंसारीसैफुद्दीन किचलेव और अली भाई इस आंदोलन के प्रमुख नेता थे।
  • महात्मा गांधी का विशेष सरोकार देश की आजाद को हासिल करने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों को एक करना था।
  • खिलाफत आंदोलन को सन् 1920 में महात्मा गांधी द्वारा आरंभ किए गए असहयोग आंदोलन के साथ विलय कर दिया गया।

असहयोग आंदोलन (1920-1922)

  • असहयोग आंदोलन, रौलैट अधिनियमजलियांवाला बाग हत्याकांड और खिलाफत आंदोलन की अगली कड़ी थी।
  • इसे दिसंबर1920 में नागपुर सत्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा अनुमोदित किया गया।
  • असहयोग आंद्लन के कार्यक्रम निम्‍न थेः
    • शीर्षकों और मानद पदों का अभ्‍यार्पण
    • स्थानीय निकायों की सदस्यता से इस्तीफा
    • 1919 अधिनियम के प्रावधानों के तहत आयोजित चुनावों का बहिष्कार
    • सरकारी कार्यक्रमों का बहिष्कार
  • कोर्ट, सरकारी विद्यालयों और विश्‍वविद्यालयों का बहिष्कार।
  • विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार।
  • राष्ट्रीय विद्यालयों, विश्‍वविद्यालयों और निजी पंचायत न्‍यायालयों की स्थापना।
  • स्वदेशी वस्तुओं और खादी को लोकप्रिय बनाना।
  • राष्ट्रीय विद्यालयों जैसे काशी विद्यापीठबिहार विद्यापीठ और जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना की गई।
  • विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस का कोई भी नेता आगे नहीं आया।
  • सन् 1921 में वेल्स के राजकुमार के खिलाफ उनके भारत दौरे के दौरान बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया।
  • ज्यादातर घरों में चरखों की सहायता से कपड़ा की बुनाई की जाने लगी।
  • लेकिन चौरी चौरा घटना के बाद गांधी द्वारा 11 फरवरी1922 को सभी आंदोलनों को अकस्‍मात बुलाया गया।
  • यू.पी. के गोरखपुर जिले में इससे पहले 5 फरवरी को क्रोधित भीड़ ने चौरी चौरा में स्थित पुलिस थाने को आग के हवाले कर दिया जिसमें 22 पुलिसकर्मी जलकर मारे गए।

असहयोग आंदोलन का महत्व

  • यह भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी के साथ वास्तविक जन-आंदोलन था।
  • जैसे कि किसानश्रमिकछात्रशिक्षक और महिलाएं इसमें शामिल थे।
  • यह भारत के दूरदराज के क्षेत्रों में राष्ट्रवाद के प्रसार का साक्षी बना।
  • इसने खिलाफत आंदोलन के विलय के परिणामस्वरूप हिंदू-मुस्लिम एकता की मजबूती को भी चिन्हित किया।
  • इसने विपत्तियों का सामना करने और त्‍याग करने की जन समूह की स्‍वेच्‍छा और सामर्थ्‍य का प्रदर्शन किया।

स्वराज पार्टी

  • असहयोग आंदोलन के निलंबन के फलस्वरुप दिसंबर, 1922 में कांग्रेस के गया सत्र में कांग्रेस में विभाजन हो गया।
  • मोतीलाल नेहरू और चितरंजन दास जैसे नेताओं ने 1 जनवरी, 1923 को कांग्रेस के भीतर एक अलग समूह का गठन किया जिसे स्वराज पार्टी के नाम से जाना गया।
  • स्वराजी, परिषद चुनावों में चुनाव लड़ना चाहते थे और सरकार को भीतर से कमजोर करना चाहते थे।
  • स्वराज पार्टी ने शानदार सफलता हासिल की।
  • केंद्रीय विधान परिषद में मोतीलाल नेहरू पार्टी के नेता बने जबकि बंगाल में पार्टी की अध्यक्षता सी. आर. दास ने की।
  • इन्होंने 1919 के भारत सरकार अधिनियम में आवश्यक बदलावों के साथ भारत में एक जिम्मेदार सरकार की स्थापना की मांग की।
  • पार्टी सरकार के दमनकारी कानूनों के खिलाफ महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित कर सकती थी।
  • जून, 1925 में सी. आर. दास के निधन के बाद स्वराज पार्टी कमजोर पड़ना शुरू हो गई।

साइमन कमीशन

  • नवंबर, 1927 में ब्रिटिश सरकार ने भारत सरकार अधिनियम, 1919 के कार्यों की जांच करने और परिवर्तनों हेतु सुझाव देने के लिए साइमन कमीशन को नियुक्त किया।
  • आयोग में एक भी भारतीय प्रतिनिधि को शामिल न करते हुए अंग्रेजों को सम्मिलित करके आयोग का गठन किया गया।
  • आयोग फरवरी, 1928 में भारत पहुंचा और इसने देशव्यापी विरोध का सामना किया।
  • यहां तक कि केन्द्रीय विधान सभा के अधिकांश सदस्यों ने भी आयोग का बहिष्कार किया।
  • जहां-जहां आयोग गया वहां प्रदर्शन और हड़ताल के आयोजन के लिए पूरे देश में गैर-साइमन समितियों का गठन किया गया।
  • शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को कईं स्थानों पर पुलिस द्वारा मारा-पीटागया। लाला लाजपत राय पर हमला किया गया जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई।

नेहरू रिपोर्ट (1928)

  • इस बीच राज्य सचिवलॉर्ड बीरकेनहेड ने भारतीयों को एक संविधान का निर्माण करने के लिए चुनौती दी।
  • चुनौती को कांग्रेस द्वारा स्वीकार किया गया और 28 फरवरी, 1928 को एक अखिल पार्टी बैठक बुलाई गई।
  • भारत के भविष्य के संविधान का खाका (ब्‍लूप्रिंट) तैयार करने के लिए आठ सदस्यों की एक समिति का गठन किया गया।
  • जिसकी अध्यक्षता मोतीलाल नेहरू ने की।

रिपोर्ट अनुगृहीत

  • अगला तत्काल चरण स्वतंत्र उपनिवेश की स्थिति था।
  • केंद्र में पूर्ण जिम्मेदार सरकार।
  • प्रांतों के लिए स्वायत्तता।
  • केंद्र और प्रांतों के बीच शक्ति का स्पष्ट विभाजन।
  • केंद्र में एक द्विपक्षीय विधानमंडल।
  • मोहम्मद अली जिन्ना ने इसे मुसलमानों के हितों के लिए हानिकारक माना।
  • जिन्ना ने मुसलमानों का एक अखिल भारतीय सम्मेलन बुलाया जहां उन्होंने मुस्लिम लीग की मांगों के रूप में चौदह बिन्दुओं की सूची पर सभी का ध्यान आकर्षित किया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-1934)

  • इस अशांतिपूर्ण माहौल में दिसंबर, 1929 में लाहौर में कांग्रेस के वार्षिक सत्र का आयोजन किया गया।
  • जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में इस सत्र के दौरान कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज संकल्प को पारित किया।
  • तथापि, सरकार ने नेहरू रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया, जिसके परिणामस्वरुप कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ करने का आह्वान किया।
  • कांग्रेस ने 26 जनवरी1930 को स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया।
  • सन् 1950 में जब भारतीय संविधान लागू हुआ तब इसी तारीख को गणतंत्र दिवस के रूप में घोषित किया गया।

दांडी यात्रा

  • 12 मार्च, 1930 को गांधी ने नमक कानून को भंग करने के लिए अपने चुने हुए 79 अनुयायियों के साथ दांडी के लिए अपनी प्रसिद्ध यात्रा का आरंभ किया।
  • वह 200 मील की दूरी तय करने के बाद 5 अप्रैल, 1930 को दांडी के तट पर पहुंचे।
  • 6 अप्रैल को औपचारिक रूप से नमक कानून को भंग करके सविनय अवज्ञा आंदोलन का आरंभ किया।
  • 9 अप्रैल को महात्मा गांधी ने इस आंदोलन का कार्यक्रम रखा जिसमें वर्तमान नमक कानून का उल्लंघन करने हेतु प्रत्येक गांव में नमक बनाना शामिल था।
  • शराबअफीम और विदेशी कपड़ों को बेचने वाली दुकानों के सामने महिलाओं द्वारा धरना देना;
  • अस्पृश्यता से लड़ने के लिए चरखे का उपयोग करके कपड़ों की कताई करना;
  • छात्रों द्वारा विद्यालयों और विश्‍वविद्यालयों का बहिष्कार करना और लोगों द्वारा सरकारी नौकरियों से इस्तीफा देना।
  • जल्द हीयह आंदोलन देश के सभी हिस्सों में फैल गया। छात्रोंश्रमिकोंकिसानों और महिलाओंसभी ने इस आंदोलन में पूरे उत्साह के साथ भाग लिया।

गोलमेज सम्मेलन

प्रथम गोलमेज सम्मेलन

  • नवंबर, 1930 में लंदन में आयोजित किया गया और कांग्रेस द्वारा इसका बहिष्कार किया गया।
  • जनवरी, 1931 में वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने का उद्देश्‍य।
  • सरकार ने कांग्रेस पार्टी पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया और जेल में बंद इसके नेताओं को रिहा कर दिया।
  • 8 मार्च, 1931 को गांधी-इरविन संधि पर हस्ताक्षर किए गए।
  • इस संधि के अनुसारमहात्मा गांधी सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित करने और द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए सहमत हो गए।
  • सितंबर, 1931 में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन लंदन में आयोजित किया गया।
  • महात्मा गांधी ने सम्मेलन में भाग लिया लेकिन वे निराशा के साथ भारत लौटे क्योंकि पूर्ण स्वतंत्रता की मांग और सांप्रदायिक मुद्दे पर कोई समझौता संपन्न नहीं किया जा सका।
  • जनवरी, 1932 में सविनय असहयोग आंदोलन फिर से आरंभ हुआ।
  • सरकार ने महात्मा गांधी और सरदार पटेल को गिरफ्तार करके कांग्रेस पार्टी पर प्रतिबंध लगाते हुए विरोध का जवाब दिया।

सांप्रदायिक पुरस्‍कार

  • अगस्त, 1932 में ब्रिटिश प्रधानमंत्रीरामसे मैकडोनाल्ड द्वारा सांप्रदायिक पुरस्‍कार घोषित किए गए।
  • यह अंग्रेजों की नीति फूट डालो और शासन करों की एक ओर अभिव्यक्ति थी।
  • मुस्लिमसिक्‍ख और ईसाईयों को पहले से ही अल्पसंख्यकों के रूप में चिन्हित किया गया था।
  • सांप्रदायिक पुरस्कार उदासीन वर्ग के साथ-साथ अल्पसंख्यकों के लिए भी घोषित किए गए और उन्‍हें पृथक निर्वाचक-मंडलों के लिए हकदार माना।

पूना संधि (1932)

  • सन् 1930 तक डॉ. अम्बेड़कर देश के उदासीन लोगों के समर्थन के कारण राष्ट्रीय स्तर के नेता बन गए।
  • प्रथम गोलमेज सम्मेलन में इन लोगों की वास्तविक स्थिति को प्रस्तुत करने के दौरान इन्होंने इनके लिए अलग निर्वाचक-मंडल की मांग की।
  • 16 अगस्त, 1932 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री रामसे मैकडोनाल्ड ने एक घोषणा की, जो सांप्रदायिक पुरस्‍कार के तौर पर सामने आई।
  • महात्मा गांधी ने सांप्रदायिक पुरस्‍कारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और 20 सितंबर, 1932 को येरवदा जेल में आमरण अनशन पर बैठ गए।
  • अंततः डॉ. अम्बेड़कर और गांधी के बीच एक समझौता हुआ।
  • इस समझौते को पूना संधि के नाम से जाना गया। ब्रिटिश सरकार ने भी इसे मंजूरी प्रदान की।
  • तदनुसारविभिन्न प्रांतीय विधान मंडलों में सांप्रदायिक पुरस्‍कार में प्रदत्त 71 सीटों के बदले 148 सीटें उदासीन वर्गों के लिए आरक्षित की गईं।

तृतीय गोलमेज सम्मेलन 1932

  • कांग्रेस ने पुनः इसमें भाग नहीं लिया।
  • इसके बावजुद मार्च, 1933 में ब्रिटिश सरकार ने एक श्वेत पत्र (व्‍हाइट पेपर) जारी किया।
  • जो भारत सरकार अधिनियम1935 के अधिनियमन के लिए आधार बना।

भारत सरकार अधिनियम, 1935

भारत सरकार अधिनियम, 1935 को निम्‍न आधार पर पारित किया गया था -

  • साइमन आयोग की रिपोर्ट।
  • गोलमेज सम्मेलन के परिणामस्वरुप।
  • ब्रिटिश सरकार द्वारा सन् 1933 में जारी किए गए श्वेत पत्र के परिणामस्वरुप।

इस अधिनियम की मुख्य विशेषताएं निम्‍न थीं - 

  • केंद्र में ब्रिटिश भारत के प्रांतों और राजसी राज्यों के प्रांतों को सम्मिलित करके एक अखिल भारतीय संघ की स्थापना हेतु प्रावधान किया गया।
  • यह अस्तित्व में नहीं आया क्योंकि राजसी राज्यों ने संघ के लिए अपनी सहमति देने से इनकार कर दिया।
  • तीन सूचियों अर्थात् संघीयप्रांतीय और समवर्ती में शक्तियों का विभाजन।
  • केंद्र में द्विशासन का आरंभ।
  • गवर्नर-जनरल और उनके पार्षदों ने "आरक्षित विषयों" को प्रशासित किया।
  • मंत्रिपरिषद "हस्तांतरित" व्‍यक्तियों के लिए जिम्मेदार थी।
  • द्विशासन का उन्मूलन और प्रांतों में प्रांतीय स्वायत्तता का आरंभ।
  • गवर्नर को प्रांतीय कार्यकारिणी का प्रमुख बनाया गया लेकिन उन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह पर प्रशासन को चलाने (बाध्य नहीं) की उम्मीद थी ।
  • बंगालमद्रासबॉम्बेसंयुक्त प्रांतबिहार और असम के प्रांतीय विधानमंडलों को द्विशासी बनाया गया।
  • सिक्‍खयूरोपीयभारतीय ईसाईयों और एंग्‍लो भारतीयों के लिए अलग निर्वाचन-क्षेत्र के सिद्धांत पर विस्तार किया गया।
  • मुख्य न्यायाधीश तथा 6 न्यायाधीशों के साथ दिल्ली में एक संघीय न्यायालय की स्थापना की गई।

द्वितीय विश्व युद्ध और राष्ट्रीय आंदोलन

  • सन् 1937 में भारत सरकार अधिनियम, 1935 के प्रावधानों के तहत चुनाव आयोजित किए गए।
  • भारत के सात राज्यों में कांग्रेस मंत्रालयों का गठन किया गया।
  • 1 सितंबर, 1939 को द्वितीय विश्व युद्ध आरंभ हुआ।
  • ब्रिटिश सरकार ने भारत के लोगों से परामर्श किए बिना युद्ध में देश को शामिल कर दिया।
  • विरोध प्रदर्शन के फलस्वरुप प्रांतों में कांग्रेस मंत्रियों ने 12 दिसंबर, 1939 को इस्तीफा दे दिया।
  • मुस्लिम लीग ने उस दिन को उद्धार दिवस के रूप में मनाया।
  • मार्च, 1940 में मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान के निर्माण की मांग की।

अगस्त प्रस्ताव

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान  भारतीयों के सहयोग को सुनिश्चित करने के उद्देश्‍य से ब्रिटिश सरकार ने 8 अगस्त, 1940 को एक घोषणा की, जिसे 'अगस्त प्रस्तावके रूप में जाना गया। उसमें निम्‍न प्रस्तावित था -

  • भारत के लिए स्वतंत्र उप-निवेश का उद्देश्य।
  • वायसरॉय की कार्यकारी परिषद का विस्तार तथा रक्षा, अल्पसंख्यक अधिकारों, राज्यों के साथ संधियों एवं अखिल भारतीय सेवाओं से संबंधित सरकार के दायित्‍वों की पूर्ति के लिए उनकी सामाजिकआर्थिक और राजनीतिक अवधारणाओं के अनुसार युद्ध के उपरांत भारतीय को सम्मिलित करके संविधान सभा की स्थापना करना।
  • अल्पसंख्यकों की सहमति के बिना भविष्य में किसी भी संविधान को अपनाया नहीं जाएगा।

अगस्त प्रस्ताव पर भारत की प्रतिक्रिया

  • कांग्रेस ने अगस्त प्रस्ताव को अस्‍वीकृत कर दिया।
  • नेहरू ने कहा, "स्वतंत्र उपनिवेश की अवधारणा निरर्थक है"।

व्यक्तिगत सत्याग्रह

  • भारतीयों के सहयोग को सुरक्षित करने के उद्देश्‍य से ब्रिटिश सरकार ने 8 अगस्त, 1940 को एक घोषणा की।
  • अगस्त प्रस्ताव में यह परिकल्पना की गई कि युद्ध के बाद नए संविधान को भारतीयों का प्रतिनिधि निकाय स्थापित करेगा।
  • गांधी प्रस्ताव से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने व्यक्तिगत सत्याग्रह आरंभ करने का फैसला किया।
  • व्यक्तिगत सत्याग्रह सीमितप्रतीकात्मक और अहिंसक प्रकृति का था। महात्मा गांधी पर सत्याग्रहियों का चयन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
  • आचार्य विनोबा भावे पहले व्यक्ति थे जिन्हें सत्याग्रह का प्रस्ताव दिया गया तथा उन्हें तीन महीने की कारावास की सजा सुनाई गई।
  • जवाहरलाल नेहरू दूसरे सत्याग्रही थे और उन्हें चार महीने की सजा सुनाई गई।
  • व्यक्तिगत सत्याग्रह लगभग 15 महीने तक जारी रहा।

क्रिप्स मिशन (1942)

  • विकृत युद्धकालीन अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों के मध्‍य में ब्रिटिश सरकार ने भारतीय सहयोग को बनाए रखने के लिए 23 मार्च, 1942 को सर स्टैफोर्ड क्रिप्स को भारत भेजा। इसे क्रिप्स मिशन के नाम से जाना गया।

क्रिप्स की मुख्य अनुशंसाओं में निम्‍न शामिल थे:

  1. भारत के लिए स्वतंत्र उप-निवेश का वचन।
  2. अल्पसंख्यकों की सुरक्षा।
  3. संविधान सभा की स्थापना की गई, जिसमें राजसी राज्यों समेत ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
  4. यह संवैधानिक प्रावधान  ब्रिटिश भारत के किसी भी प्रांत के लिए लागू नहीं होगा जो इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है
  5. या तो अपनी वर्तमान संवैधानिक स्थिति को बनाए रखे या स्वयं के लिए एक संविधान का निर्माण करें। गांधी ने क्रिप्स के प्रस्तावों को "पोस्ट-डेटेड चेक" कहा।
  6. मुस्लिम लीग भी इससे असंतुष्ट थी क्योंकि प्रस्ताव में उनकी पाकिस्तान की मांग को भी स्वीकार नहीं किया गया था।

भारत छोड़ो आंदोलन (1942-1944)

  • क्रिप्स मिशन की असफलता और भारत पर जापानी आक्रमण के डर से महात्मा गांधी ने ब्रिटिशों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन आरंभ किया।
  • महात्मा गांधी का विश्वास था कि अंग्रेजों के भारत छोड़ने के बाद ही अंतरिम सरकार बनाई जा सकती है और तब ही हिन्दू-मुस्लिम की समस्या का हल निकाला जा सकता है।
  • अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक 8 अगस्त, 1942 को मुंबई में हुई और प्रसिद्ध भारत छोड़ो संकल्प को पारित किया।
  • उसी दिन गांधी ने ''करो या मरो' का आह्वान किया।
  • 8 एवं 9 अगस्त, 1942 को सरकार ने कांग्रेस के सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया।
  • महात्मा गांधी को पूना के जेल में रखा गया था।
  • पंडित जवाहरलाल नेहरूअबुल कलाम आज़ाद और अन्य नेताओं को अहमदनगर किले में कैद कर लिया गया।
  • इस समय राम मनोहर लोहियाअच्युत और एस. एम. जोसी ने नेतृत्व प्रदान किया।
  • इस आंदोलन में जयप्रकाश नारायण की भूमिका महत्वपूर्ण थी।
  • आंदोलन में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में छात्रों ने भी अपने विद्यालय और विश्‍वविद्यालय छोड़ दिए।
  • देश के युवाओं ने भी देशभक्ति के साथ इस आंदोलन में भाग लिया।
  • सन् 1944 में महात्मा गांधी को जेल से रिहा किया गया।
  • भारत छोड़ो आंदोलन देश की स्वतंत्रता के लिए अंतिम प्रयास था।
  • ब्रिटिश सरकार ने 538 राउंड फायरिंग के आदेश दिए। लगभग 60,229 व्यक्तियों को जेल में डाल दिया गया।
  • कम से कम 7,000 लोग मारे गए।
  • इस आंदोलन ने भारत की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया। इसने भारतीयों के मध्य बहादुरीउत्साह और संपूर्ण बलिदान की भावनाओं को जागृत किया।

राजगोपालाचारी सूत्र (फॉर्मूला)

  • राजगोपालाचारी अनुभवी कांग्रेसी नेता थे, उन्होंने कांग्रेस-लीग सहयोग के लिए एक सूत्र (फार्मूला) तैयार किया, जिसे गांधी ने स्वीकार किया।
  • यह पाकिस्तान के लिए लीग की मांग की उपलक्षित स्वीकृति थी।
  • वीर सावरकर के नेतृत्व में हिंदू नेताओं ने सी. आर. योजना की निंदा की।

सी. आर. योजना की मुख्य बातें निम्‍न थीं –

  • मुस्लिम लीग द्वारा कांग्रेस की स्वतंत्रता की मांग का समर्थन करना।
  • केन्द्र में एक अनंतिम सरकार बनाने में लीग कांग्रेस का सहयोग करेगी।
  • युद्ध के पश्चात उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्व भारत के मुस्लिम बहुमत क्षेत्रों की समस्त जनसंख्या जनमत से फैसला करेगी कि एक अलग संप्रभु राज्य का गठन होगा या नहीं।
  • विभाजन की स्वीकृति के मामले में रक्षावाणिज्यसंचार आदि की सुरक्षा हेतु संयुक्त रूप से अनुबंध बनाना।
  • उपर्युक्त शर्तों का परिचालन तभी होगा जब इंग्लैंड संपूर्ण शक्तियाँ भारत को हस्तांतरित करेगा।

जिन्ना का उद्देश्य

  • जिन्ना चाहते थे कि कांग्रेस द्वि – राष्ट्र सिद्धांत को स्वीकार करे।
  • वे केवल उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्व के मुसलमानों को जनमत-संग्रह में वोट दिलाना चाहते थे तथा समस्‍त जनसंख्‍या को नहीं।
  • उन्होंने एक कॉमन केंद्र के विचार का भी विरोध किया।

तथापि, जब कांग्रेस भारतीय संघ की स्वतंत्रता के लिए लीग के साथ सहयोग करने हेतु तैयार थी तब लीग ने संघ की स्वतंत्रता की परवाह नहीं की। इनकी दिलचस्पी केवल एक अलग राष्ट्र में थी।

देसाई-लियाकत संधि

  • कांग्रेस के नेता भूलाभाई देसाई ने मुस्लिमों के नेता लियाकत अली खान के साथ केंद्र में एक अंतरिम सरकार के गठन हेतु मसौदा तैयार किया जिसमें निम्‍न शामिल थे-
    • केंद्रीय विधायिका में कांग्रेस और लीग द्वारा नामांकित व्यक्तियों की संख्या एक-समान होगी।
    • अल्पसंख्यकों के लिए 20% सीटें आरक्षित होगी।
  • उक्त बातों को ध्यान में रखकर कांग्रेस और लीग के बीच कोई भी समझौता नहीं किया जा सका।
  • लेकिन तथ्य यह है कि कांग्रेस और लीग के बीच समानता का फैसला किया गया जो की दूरगामी था।

वॉवेल योजना

  • वायसरायलॉर्ड वावेल द्वारा जून, 1945 में शिमला में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया।
  • लंबित गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद का पुनर्निर्माण करने का उद्देश्य नईं संविधान की तैयारी करना था।

 मुख्य प्रस्ताव

  • गवर्नर-जनरल और कमांडर-इन-चीफ को छोड़कर कार्यकारी परिषद के सभी सदस्य भारतीय थे।
  • हिंदुओं और मुसलमानों का समान प्रतिनिधित्व होना चाहिए।
  • पुनर्निर्मित परिषद को 1935 के अधिनियम (यह केन्द्रीय विधानसभा के लिए जिम्मेदार नहीं थी) के ढांचे के तहत अंतरिम सरकार के रूप में कार्य करना था।
  • गवर्नर-जनरल मंत्रियों की सलाह पर अपने वीटो का इस्तेमाल करते थे।
  • विभिन्न पार्टियों के प्रतिनिधि कार्यकारी परिषद के नामांकन हेतु वायसराय की एक संयुक्त सूची प्रस्तुत करते थे।
  • यदि, संयुक्त सूची संभव नहीं होती थी तो अलग-अलग सूचियां प्रस्तुत की जाती थीं।
  • अंततः युद्ध जीते जाने के बाद नए संविधान पर बातचीत के लिए संभावनाओं को खुला रखा गया था।

भारतीय राष्ट्रीय सेना

  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरानसशस्त्र क्रांतिकारी गतिविधियों को जारी रखा गया।
  • ऐसी गतिविधियों की दिशा में सुभाष चंद्र बोस की भूमिका अतुलनीय है।
  • 2 जुलाई, 1943 को सुभाष चंद्र बोस सिंगापुर पहुंचे और वहां 'दिल्ली चलो' का नारा दिया।
  • उन्हें भारतीय स्वतंत्रता लीग का अध्यक्ष बनाया गया और जल्द ही उन्हें भारतीय राष्ट्रीय सेना का सर्वोच्च कमांडर बना दिया गया।
  • भारतीय राष्‍ट्रीय सेना के तीन ब्रिगेडों के नाम सुभाष ब्रिगेडगांधी ब्रिगेड और नेहरू ब्रिगेड थे।
  • सेना की महिला शाखा का नाम रानी लामिआ के नाम पर था।
  • भारतीय राष्ट्रीय सेना ने कोहिमा पर अपनी जीत दर्ज करने के बाद इम्फाल की तरफ चढ़ाई की।
  • सन् 1945 में जापान के आत्मसमर्पण के बाद।
  • भारतीय राष्‍ट्रीय सेना अपने प्रयासों में असफल रही। कुछ परिस्थितियों के तहत सुभाष चंद्र बोस ताइवान गए।
  • जब वे टोक्यो जा रहे थे तब 18 अगस्त, 1945 को विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।
  • भारतीय राष्‍ट्रीय सेना के सैनिकों का परीक्षण दिल्ली के लाल किले में आयोजित किया गया।
  • पंडित जवाहरलाल नेहरूभूलाभाई देसाई और तेज बहादुर सप्रू ने सैनिकों की ओर से केस लड़ा।

कैबिनेट मिशन (1946)

  • द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात लॉर्ड एटली इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बन गए।
  • 15 मार्च, 1946 को लॉर्ड एटली ने एक ऐतिहासिक घोषणा की जिसमें स्व-निर्धारण के अधिकार और भारत के लिए संविधान के निर्धारण को स्वीकार किया गया।
  • इसके परिणामस्वरुपब्रिटिश कैबिनेट के तीन सदस्यों अर्थात् पैथिक लॉरेंससर स्टैफोर्ड क्रिप्स और ए. वी. अलेक्जेंडर को भारत भेजा गया। इसे कैबिनेट मिशन के नाम से जाना गया।
  • कैबिनेट मिशन ने संवैधानिक समस्याओं के समाधान के लिए एक योजना तैयार की।
  • प्रांतों के तीन समूहों के लिए उनके अलग संविधान के अधिकार हेतु प्रावधान किया गया।
  • कैबिनेट मिशन ने ब्रिटिश भारत और राजसी राज्यों अर्थात् दोनों को सम्मिलित करके भारत संघ के गठन का भी प्रस्ताव रखा।
  • नई सरकार चुने जाने तक प्रांतों में निहित होने के लिए अवशिष्ट शक्तियों को छोड़कर संघ केवल विदेशी मामलोंरक्षा और संचार का प्रभारी रहेगा।
  • मुस्लिम लीग और कांग्रेस दोनों ने इस योजना को स्वीकार कर लिया।
  • इसके परिणामस्वरुप, संविधान सभा के गठन के लिए जुलाई, 1946 में चुनावों का आयोजन किया गया।
  • कांग्रेस ने कुल 214 सामान्‍य सीटों में से 205 सीटों पर जीत हासिल की।
  • मुस्लिम लीग ने 78 मुस्लिम सीटों में से 73 सीटों पर जीत हासिल की।
  • 2 सितंबर, 1946 को जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया।

माउंटबेटन योजना (1947)

  • 20 फरवरी1947 को प्रधानमंत्री एटली ने लोकसभा (हाउस ऑफ़ कॉमन्स) में घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार का निश्चित उद्देश्य जिम्मेदार भारतीयों के हाथों में शक्ति को हस्तांतरित करना है।
  • अतः शक्ति के स्थानांतरण को प्रभावित करने के लिए एटली ने लॉर्ड माउंटबेटन को भारत के वायसराय के रूप में भेजने का निर्णय लिया।
  • 24 मार्च, 1947 को व्‍यापक शक्तियों से लैस लॉर्ड माउंटबेटन भारत के वायसराय बन गए।
  • भारत का विभाजन और पाकिस्तान का निर्माण उसके लिए अपरिहार्य था।
  • व्यापक परामर्श के बाद लॉर्ड माउंटबेटन ने 3 जून, 1947 को भारत के विभाजन की योजना प्रस्तुत की।
  • अंततः भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के तहत कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने माउंटबेटन योजना को मंजूरी दे दी।
  • ब्रिटिश सरकार ने 18 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम को लागू करके माउंटबेटन योजना को औपचारिक अनुमोदन प्रदान किया।
  • देश का विभाजन भारत और पाकिस्तान के तौर पर 15 अगस्त, 1947 से लागू हुआ।
  • ब्रिटिश सरकार ने सभी शक्तियों को इन दो स्वतंत्र उप-निवेश को स्थानांतरित किया।
  • सीमा आयोग ने पंजाब और बंगाल के प्रांतों की सीमाओं का सीमांकन किया।
  • अधिनियम दो स्वतंत्र उप-निवेशों की संविधान सभाओं को सत्ता का हस्तांतरण प्रदान करता है, जिसके तहत उन्हें अपने-अपने देश के लिए संविधान निर्माण करने का पूर्ण अधिकार होगा।
  • रैडक्लिफ सीमा आयोग ने भारत और पाकिस्तान को अलग करने वाली सीमा रेखा खींची।
  • दो स्वतंत्र राज्यों के रूप में अर्थात् 15 अगस्त, 1947 को भारत और 14 अगस्त को पाकिस्तान अस्तित्व में आया।
  • लॉर्ड माउंटबेटन को स्वतंत्र भारत का पहला गवर्नर जनरल बनाया गया।
  • जबकि मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल बने।
  • सबसे दुखद घटना 30 जनवरी, 1948 को हुई जब राष्ट्र पिता महात्मा गांधी की प्रार्थना सभा में जाकर नाथुराम गोडसे ने हत्‍या कर दी।

पाकिस्तान की मांग

  • सन् 1940 में मुस्लिम लीग के लाहौर सत्र में पाकिस्तान को एक अलग राज्य बनाने की मांग की गई। यह द्वि-राष्ट्र सिद्धांत पर आधारित था।
  • मुस्लिम लीग ने मांग की कि भारत के उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्रों में जहां मुसलमान बहुसंख्यक हैं उनको एक साथ मिलाकर एक स्वायत्त और संप्रभु राज्य का गठन करना चाहिए।
  • मुस्लिमों के एक बड़े भाग ने अलग राज्य की मांग का विरोध किया जो अलगाववादी मांग के खिलाफ थे।
  • अनेकों राष्ट्रवादी नेता जैसे मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जो हमेशा राष्ट्रीय आंदोलन में अग्रणी थे, उन्होंने अलग राज्य की मांग का विरोध किया और सांप्रदायिक प्रवृत्तियों तथा भारतीय लोगों की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।
  • इनमें से सबसे अधिक प्रसिद्ध उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत में खुदा खिदमतगारबलुचिस्तान में अब्दुल गफ़र खान द्वारा आयोजित वतन पार्टी, अखिल भारतीय मॉमिन सम्मेलनअहरर पार्टीअखिल भारतीय शिया राजनीतिक सम्मेलन और आजाद मुस्लिम सम्मेलन थे।
  • इस संगठन ने कांग्रेस के साथ स्वतंत्रता के संघर्ष में बड़ी संख्या में मुसलमानों का नेतृत्व किया।
  • मुस्लिम लीग को ब्रिटिश सरकार ने अलग राज्य की मांग को दबा देने के लिए प्रोत्साहित किया और ब्रिटिश साम्राज्यवाद का खेल खेला, जिसने आजादी के आंदोलन को बाधित और प्रभावित किया।
  • जब कांग्रेस ने स्वतंत्रता की मांग को लेकर ब्रिटिश रवैये के विरोध में प्रांतीय सरकारों को वापस ले लिया तब मुस्लिम लीग ने इस दिन को उद्धार दिवस के तौर पर मनाया और प्रान्तों में मंत्रालयों के निर्माण का प्रयास किया जबकि उनके पास किसी भी प्रांतीय विधानमंडल में बहुमत नहीं था।
  • जिन्ना चुनाव के परिणामों से चिंतित थे क्योंकि मुस्लिम लीग को संविधानसभा में पूरी तरह से समाप्त होने का खतरा था।
  • तदनुसार, मुस्लिम लीग ने 29 जुलाई, 1946 को कैबिनेट मिशन योजना की अपनी स्वीकृति को वापस ले लिया।
  • इन्होंने एक 'प्रत्यक्ष कार्रवाईसंकल्प पारित किया, जिसने ब्रिटिश सरकार और कांग्रेस (16 अगस्त1946) दोनों की निंदा की।
  • जिसके परिणामस्वरुप बहुत अधिक सांप्रदायिक दंगे हुए।


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RJ: If you have any doubt or any query please let me know.

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