भारत में युरोपियों का आगमन Advent of Europeans in India Hindi Notes PDF
भारत में कौन-कौन सी यूरोपीय कम्पनियां आई?
यूरोपियों का भारत आने का उद्देश्य क्या था?
भारत आने वाले समुद्री रास्ते की खोज कैसे हुई?
अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए विभिन्न यूरोपीय कम्पनियों के मध्य कौन कौन से युद्ध हुए?
किस प्रकार अंग्रेजो ने सता हासिल की?
इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए नीचे अवश्य पढ़िए ।
भारत में यूरोपीयो का आगमन वास्को डी गामा के 1498 में भारत पहुंचने से हुआ। 15वी सदी में यूरोप में मशीनी युग आरंभ हो चुका था तथा यूरोपियों को अपने माल को बेचने के लिए काफी बड़े बाजार की जरूरत थी। यूरोप में पहले से ही यूरोपीय कंपनियां एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रही थी। इसलिए उन्होंने दुनिया के हर छोर की तरफ यात्री भेजने शुरू किए ताकि वे अपने माल को बेचने के लिए बाजार ढूंढ सके। भारत उस समय समृद्ध देशों में गिना जाता था लेकिन भारत और यूरोप के बीच कोई सीधा संपर्क नहीं था। इसलिए भारत जाने वाले समुद्री रास्ते की खोज शुरू हुई। सर्वप्रथम जॉर्ज वाशिंगटन को भेजा गया लेकिन वह सीधा अमेरिका पहुंच गया तथा अमेरिका के समुद्री रास्ते की खोज हुई। लेकिन अभी भी भारत जाने वाले समुद्री रास्ते को खोजने में वो असफल थे।
पुर्तगाल
फिर एकबार इस खोज को अंजाम दिया पुर्तगाल ने तथा वासको डी गामा को भारत की खोज के लिए भेजा तथा वह इस काम में सफल हो गया वो 1498 में अफ्रीका के दक्षिणी छोर से होता हुआ सीधा कालीकट बंदरगाह पहुंचा। इस समय वहा का राजा जमोरिन था।
इसके बाद से अनेक यूरोपीय कमपनीयां व्यापार के उद्देश्य से भारत आनी शुरू हुई।
पुर्तगालियों ने दमन, सालसेट, चौल, बंबई वेस्ट कोस्ट, मद्रास के निकट सैन थोम, तथा हुगली में अपनी factories स्थापित की। प्रथम पुर्तगाली गवर्नर फ्रांसिस्को डी अल्मोड़ा को बनाया गया था। तथा सन 1509 में अलफांसो डी अल्बुकर्क भारत का गवर्नर बनकर भारत आया तथा उसने 1510 में गोवा पर कब्जा कर लिया।
डच
इसके बाद डचों का भारत में आगमन हुआ। सन 1602 में डच ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन हुआ तथा उन्होंने अपना पहला कारखाना सन 1605 में मसूलीपट्टनम में स्थापित किया। साथ उन्होने पुलीकट, चिनसुरा, कोचीन, सूरत, पटना, बालासो, कसिंबाजार में भी अपनी Factories स्थापित की। लेकिन डच भारत में ज्यादा नहीं टिक पाए। जब भारत में अनेक यूरोपीय कंपनियां आ गई तब उनके बीच प्रतिस्पर्धा होने लगी तथा अपना एकाधिकार प्राप्त करने के लिए उनके बीच अनेक युद्ध भी हुवे। सन 1759 में डचों तथा अंग्रेजों के मध्य बेदरा का युद्ध हुआ जिसमे डच हार गए। तथा उन्होंने अंग्रेजों से एक समझौता किया जिसके अनुसार उन्हें भारत, श्रीलंका और मलाया पर से अपना अधिकार हटाना पड़ा तथा इसके बदले उन्हें इंडोनेशिया पर नियंत्रण प्राप्त हो गया।
अंग्रेज
भारत आने वाले यूरोपियों में से अंग्रेज सबसे ज्यादा कमबख्त साबित हुए। इंग्लैंड में सन् 1599 में ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन हुआ तथा इस कंपनी को 1600 ईस्वी में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ से चार्टर प्राप्त हुआ जिसके तहत वे पूर्वी भारत में व्यापार कर सकते थे। तथा उन्हें इसका एकाधिकार भी प्राप्त हो गया। जिसके कारण कोई और इंग्लैंड की कंपनी पूर्वी भारत में व्यापार नही कर सकती थी।
सन् 1613 में कैप्टन विलियम हॉकिंग्स मुगल बादशाह जहांगीर के दरबार में गया तथा बादशाह से सूरत में व्यापार करने के लिए एक फैक्ट्री स्थापित करने की अनुमति ले ली।
इसके बाद सन् 1615 में सर थोमस रॉ ने मुगल बादशाह जहांगीर से सम्पूर्ण मुगल साम्राज्य में कही भी व्यापार करने तथा फैक्ट्री स्थापित करने का शाही फरमान जारी करवा लिया।
सन् 1690 में अंग्रेजों ने सूतानती में एक factory स्थापित की तथा 1698 में मुगल बादशाह औरंगजेब से तीन गांवों सूतानती, कलकता, एवं गोविंदपुरा की जमीदारी हासिल कर ली। तथा इन तीन गांवों को मिला कर कलकता शहर की स्थापना की। सन् 1700 ईस्वी में अंग्रेजों ने कलकत्ता स्थित फैक्ट्री के चारो और किलेबंदी करदी तथा इस किले का नाम रखा गया - फोर्ट विलियम।
1717 में अंग्रेजों ने फर्रुखसियार से एक शाही फरमान जारी करवा लिया जिसमे कंपनी को काफी बड़ी रियायते दी गई जिसे कंपनी का मैग्ना कार्टा कहा गया। जिससे स्थानीय नवाब खुश नहीं थे क्योंकि इस फरमान के कारण कंपनी को राजस्व के अधिकार भी दे दिए गए थे।
सन् 1757 में कंपनी के मनमाने व्यवहार से असंतुष्ठ बंगाल के नवाब सिराजुदौला का कंपनी के साथ युद्ध हुआ जिसे प्लासी का युद्ध कहा जाता है जिसमे अंग्रेज विजयी हुए। इस युद्ध ने अंग्रेजो के मनोबल को काफी बढ़ा दिया था।
इसके बाद पुनः सन् 1764 में बंगाल के नवाब मीर कासिम, अवध के सुल्तान शुजाउदौला तथा मुगल शासक शाह आलम द्वितीय की संयुक्त फौज को बक्सर के युद्ध में अंग्रेज कैप्टन मुनरो से हार का सामना करना पड़ा।
डेनिश
डेनिश ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन सन् 1616 में हुआ तथा इन्होंने अपनी पहली फैक्ट्री ट्रैंकबार, भारत के दक्षिण कोरोमंडल तट पर स्थापित की। लेकिन ये भी भारत में ज्यादा वर्चस्व स्थापित नही कर पाए । 1845 में अंग्रेजों के साथ हुए एक समझौते में इन्होंने अपनी ट्रैंकबार (तमिलनाडु) तथा सेरामपुर (बंगाल) फैक्ट्री को अंग्रजों को बेच दिया।
फ्रेंच
फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन सन् 1664 में कोलबर्ट द्वारा किया गया तथा इन्होंने अपनी पहली फैक्ट्री सन् 1668 में सूरत में स्थापित की। इन्होंने 1669 में एक अन्य फैक्ट्री मसूलीपट्टनम में भी स्थापित की। सन् 1760 में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी तथा इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी के मध्य एक युद्ध हुआ जिसे वांडिवाश का युद्ध कहा जाता है। इस युद्ध में अंग्रेज विजयी हुए तथा फ्रांसीसियों का वर्चस्व यही समाप्त हो गया।
इस प्रकार अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक के बाद एक युद्ध करके सारी यूरोपीय कंपनियों का वर्चस्व खत्म करके अपना एकाधिकार बना लिया। साथ ही स्थानीय राजाओं को परास्त कर सता भी हथिया ली। और धीरे धीरे सम्पूर्ण भारत पर कब्जा कर लिया।
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RJ: If you have any doubt or any query please let me know.